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आज सुबह जब मैं दफ्तर आ रहा था तो एक घटना देखने को मिली। घटना ऐसी कि जिसे देखकर गुस्सा भी आया और फिर ये लगा कि आखिर दोषी किसे मानें। हुआ यूं कि एक ऑटो वाले ने एक कार वाले को साइड नहीं दिया और आगे बढ़ गया। बदले में उस बदमिजाज कार वाले का दिमाग गरम हो गया। एसी गाड़ी में बैठने के बाद भी गरम दिमाग। उसने आगे जाकर गाड़ी ऑटो के आगे लगा दी और उतरकर ऑटो वाले को गालियां देने लगा और जब इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो ऑटो वाले को पीटना शुरू कर दिया। बेचारा ऑटो वाला पिटता रहा। समझ नहीं आ रहा था कि साइट न देना गुनाह है या उस आदमी का फ्रस्टेशन। मुझे तो लग रहा था कमबख्त वह आदमी घर से ही ऐसे निकला होगा। बीवी से झगड़ा हुआ होगा और नाश्ता नहीं किया होगा या फिर ऑफिस का कोई काम पेंडिंग होगा जिसे वो जल्दी पहुंचकर पूरा करना चाह रहा होगा और रास्ते की सारी अड़चने उसे गुस्सा दिला रही होंगी।
लेकिन ऐसे लोग ही खुद के लिए भी खतरा होते हैं। इसलिए इन्हें मेडिटेशन की जरूरत है। ईश्वर इन्हें सदबुद्धि दे।
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